कृष्ण चरित्र महा रास लीला : महारासलीला मे भक्त प्रहलाद की जीवनी का सजीव चित्रण
ताजा खबरों से अपडेट रहने के लिए हमारे Whatsapp Channel को Join करें |
कृष्ण चरित्र महा रास लीला
नागपुर महानगरपालिका तथा लोटस कल्चरल एण्ड सपोर्टिंग असोसिएशन द्वारा पूर्व महापौर दयाशंकर तिवारी के संयोजन में वृंदावन के जग प्रसिद्ध स्वामी कृष्ण मुरारी जी के निर्देशन में गांधी बाग उद्यान में 12 जनवरी 2025 तक शाम 6.30 बजे से पंद्रह दिवसीय श्री कृष्ण चरित्र महा रास लीला का आयोजन भक्तिमय वातावरण में शुरू है।
Maharashtra / Nagpur : नागपुर/ नागपुर महानगरपालिका तथा लोटस कल्चरल एण्ड सपोर्टिंग असोसिएशन द्वारा पूर्व महापौर दयाशंकर तिवारी के संयोजन में वृंदावन के जग प्रसिद्ध स्वामी कृष्ण मुरारी जी के निर्देशन में गांधी बाग उद्यान में 12 जनवरी 2025 तक शाम 6.30 बजे से पंद्रह दिवसीय श्री कृष्ण चरित्र महा रास लीला का आयोजन भक्तिमय वातावरण में शुरू है आज का प्रारम्भिक पूजन पूर्व महापौर दया शंकर तिवारी गीता मंदिर के पीठाधीश्वर स्वामी निर्मलानंद, श्रीकांत आगलावे, प्रमोद दहीकर, बाहुबली पलसापूरे, अमोल कोल्हे, दीपक बारट की उपस्थिति में संपन्न हुआ.
आज की लीला अंतर्गत भक्त प्रहलाद दर्शन कर धर्म अनुरागी नागरिक भाव विभोर हो गए.
आज के कथानक अनुसार हिरण्यकश्यपु की पत्नी कयादू गर्भवती रहती है तो उसका पुत्र अत्यधिक बलवान होगा ये सोचकर इंद्र उसका अपहरण करने जाते है और जब अपहरण कर ले जाते रहते है तब उन्हें नारद समझाते है कि ये योग्य नहीं है और इनकी सन्तान धर्म प्रिय होगी विष्णु की उपासक होगी तो इंद्र उनकी बात मान लेते तथा नारद हिरण्यकश्यपु की पत्नी को वापस पहुँचा देते है.
दूसरी ओर महाराजा हिरण्यकश्यपु को अपनी ताकत का घोर घमंड हो जाता है. वह सारे साम्राज्य मे भारी उथल पुथल मचाता है. उसकी मंशा होती है कि सब भगवान विष्णु की पूजा आराधना को त्यागकर स्वयं उसकी पूजा करे. उसकी आज्ञा का जो कोई भी उल्लंघन करता है उसे घोर यातनाएं दी जाती है उस पर तमाम प्रकार के अत्याचार किए जाते हैं इसी के साथ साथ कठोर दंड भी दिया जाता है. दूसरी ओर स्वयं उसका अपना पुत्र ही भगवान श्री विष्णु का अनन्य भक्त होता है वह अपने पिता को समझाने की तमाम कोशिश करता है कि वे भी भगवान विष्णु की शरण में आ जाये ऐसे समय हिरण्यकश्यपु उसे कुल घातक कहकर संबोधित करता है तथा अपने समर्थक एक पंडित के पास भिजवाता है और उसे सूचित करता है कि आप इसकी भाषा बदल दो इसने यह कहना चाहिए कि लोगों ने भगवान विष्णु की पूजा छोड़कर उसकी पूजा करनी चाहिए. प्रहलाद को उनके पास भिजवाने के बाद भी उसके स्वर नहीं बदलते तथा वह भगवान विष्णु का ही नाम जाप करता है. इसी के साथ साथ समस्त जनता से भी श्री हरि का ही नाम जाप करने का निवेदन करता है. इस बात से हिरण्यकश्यपु अत्यंत क्रोधित हो जाता है और प्रहलाद को मरवाने की योजना बनाता है.
प्रहलाद की हत्या के सारे प्रयास नाकाम
अत्यंत क्रोधित हिरण्यकश्यपु अपने पुत्र प्रहलाद को मरवाने के लिए उसे बहुत बड़े पहाड़ से नीचे फिकवाता है उसके बाद हाथी से खिंचवाया जाता है ऐसे अनेक नाकामयाब प्रयास किए जाते हैं. सभी प्रयास असफल होने के बाद वह अपनी बहन होलिका की गोद में बिठाकर जलाने का प्रयास किया जाता है पर यहाँ भी होलिका जल जाती है तथा प्रहलाद बच जाता है.
देवताओ की विष्णु से गुहार
इधर हिरण्यकश्यपु के अत्याचारों से समस्त देव गण भी परेशान है वे सभी पृथ्वी को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाना चाहते हैं इसलिए सभी एकत्रित होकर भगवान विष्णु के पास आते हैं और पृथ्वी की मुक्ति हेतु गुहार लगाते है वे उन्हें अवगत कराते हैं कि हिरण्यकश्यपु को यह वरदान प्राप्त है कि वह न अस्त्र से मरेगा ना शस्त्र से, ना दिन में मरेगा ना रात में, ना घर में मारेगा ना घर के बाहर, ना तो धरती पर मारेगा ना ही आकाश में, ना ही पशु से मरेगा ना ही नर के हाथों. तब भगवान उन्हें आश्वासन देते है कि उसे उसके कर्मों की सजा अवश्य देंगे.
भगवान का नृसिंह अवतार
ऐसे समय जब प्रहलाद को दरबार में कठोर यातनाएं दी जा रही थी तब प्रहलाद से कहा जाता है कि बुला तेरे भगवान को वह कहां है वो तो कहता है कि वह हर जगह है और कहा जाता है कि यदि वह हर जगह है तो इस खंबे में से प्रकट कर. तभी सचमुच खंबे में से भगवान नृसिंह प्रकट होते हैं जिनका आधा शरीर सिंह का तथा आधा नर का होता है वे अपनी गोद में बिठाकर उसका पेट अपने नाखूनों से पहेट के समय चीर देते हैं. इस प्रकार वे हिरण्यकश्यपु का वध कर पृथ्वी को उसके अत्याचारों से मुक्ति देते हैं.
आज माखन चोरी की लीला
संयोजक श्री तिवारी ने बताया कि रविवार की लीला के क्रम में भगवान की बाल लीला अंतर्गत माखन चोरी की लीला के दर्शन होंगे. सभी से अधिकाधिक बच्चों को लीला के दर्शन कराने का आग्रह उन्होंने किया.
महा रासलीला की सफ़लता हेतु सर्व श्री गिरधारी मंत्री, विपुल मिश्रा, क्षमाशंकर तिवारी, सुनील काबरा, अतुल मशरू, कल्यान चौबे, राजेश तिवारी, अविनाश साहू, प्रशांत गुप्ता, जीतू बाथो, रमाकांत गुप्ता, विवेक ठाकुर, उमेश ओझा, सुनील शर्मा, अनिल बावनगढ, कन्हैया राठौड़, डॉ विजय तिवारी, कृपाशंकर तिवारी, अशोक शुक्ला, बृजभूषण शुक्ला, अजय गौर, अमोल कोल्हे, अनूप गोमासे, नंदु बाहेकर, कृष्ण मोहन जोशी, सिद्धार्थ जोशी, कविता इंगडे, मंदा पाटिल, कल्पना कुंभलकर, मंजु कुंभलकर, शीला दुबे, किरण श्रीवास्तव, रेखा साहू, ज्योती वर्मा, मालती बाथो, अन्नू यादव, इत्यादि प्रयासरत है।